भजन-10
जहाँ प्रभु नाम के सुमिरन का रहता नित नया
सवेरा
वो आनंदपुर है मेरा .....................
1. यहाँ प्रेम के रंग में रंगी हुई है, हर पत्ती हर
डाली -2
यह देश है
जिसमे संतो की, रहती है नित दीवाली -2
यहाँ एक जोत व्यापक है जिसमे, नहीं है तेरा मेरा वो
आनंदपुर है.......
2. यह वो ज्योति योगी जन जिसका, ध्यान सदा धरते है -2
जिस जोत से
सूरज चाँद सितारे, जग चानन करते है -2
वही अजर-अमर पावन प्रभु ज्योति, करती दूर अँधेरा वो
आनंदपुर है.....
3. बिन कानों के यहाँ शब्द सुने, आँखो बिन गुदें माला -2
बिन बादल के
बूँदे बरसें, बिन सूरज रहे उजाला -2
वो दायम कायम सुख जिसमे, संतो ने डाला डेरा वो आनंदपुर
है.........
4. यहाँ तीन नदी का संगम है जो पाप ताप हरता है -2
यहाँ गगन गुफा
है भीतर जिसके अमृत रस झरता है -2
बिन गुरु किरपा के लग नहीं सकता, जिस धरती पर फेरा
वो आनंदपुर.
5. यहाँ काल माया के अंधकार का दखल नहीं है कोई -2
जो सतगुरु देव
का प्यारा इस देश में पहुँचे सोई
-2
विरला गुरुमुख ही दासां, पाता है यहाँ बसेरा वो आनंदपुर
है..............
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