Thursday, December 31, 2020

10. जहाँ प्रभु नाम के सुमिरन

 

भजन-10

 

जहाँ प्रभु नाम के सुमिरन का रहता नित नया सवेरा

वो आनंदपुर है मेरा .....................

 

1. यहाँ प्रेम के रंग में रंगी हुई है, हर पत्ती हर डाली -2

यह देश है जिसमे संतो की, रहती है नित दीवाली -2

यहाँ एक जोत व्यापक है जिसमे, नहीं है तेरा मेरा वो आनंदपुर है.......

 

2. यह वो ज्योति योगी जन जिसका, ध्यान सदा धरते है -2

जिस जोत से सूरज चाँद सितारे, जग चानन करते है -2

वही अजर-अमर पावन प्रभु ज्योति, करती दूर अँधेरा वो आनंदपुर है.....

 

3. बिन कानों के यहाँ शब्द सुने, आँखो बिन गुदें माला -2

बिन बादल के बूँदे बरसें, बिन सूरज रहे उजाला -2

वो दायम कायम सुख जिसमे, संतो ने डाला डेरा वो आनंदपुर है.........

 

4. यहाँ तीन नदी का संगम है जो पाप ताप हरता है -2

यहाँ गगन गुफा है भीतर जिसके अमृत रस झरता है -2

बिन गुरु किरपा के लग नहीं सकता, जिस धरती पर फेरा वो आनंदपुर.

 

5. यहाँ काल माया के अंधकार का दखल नहीं है कोई -2

जो सतगुरु देव का प्यारा इस देश में पहुँचे सोई -2

विरला गुरुमुख ही दासां, पाता है यहाँ बसेरा वो आनंदपुर है..............

 

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