Thursday, December 31, 2020

15. श्री आनंदपुर की धरती पर

 

भजन -15

 

श्री आनंदपुर की धरती पर एक संत प्रभु सा रहता है

जो नाम प्रभु का लेता है जो नाम प्रभु का देता है

 

1. वो पीर फकीर नबी सच्चा ईश्वर से सीधा नाता है -2

    कोई भवँर नहीं, मझँधार नहीं, वो सीधी राह दिखाता है -2

    वो जग का पालनहारां है एक भाव का भूखा रहता है..............

 

2. इक नज़र में चुकता कर देता वो जन्म - जन्म का खाता है -2

    जो शरण मे उसकी आता है कुछ और ही होकर जाता है -2

    इक नज़र कर्म पाकर उसकी पत्थर भी किनारा पाता है.........

 

3. बिन जिव्हा के बिन होठों के कोई अद्भुत नाम जपाता है -2

    उसके मुख से जो शब्द सुने भीतर अनहद् सुन पाता है -2

    अपना ही बल समरथ देकर वो सहज समाधि देता है................

 

4. उसके घर नाम की दौलत है वो नाम की दात लुटाता है -2

    कहते है जो दर पर आता है झोली भर के ले जाता है -2

    बस नाम जपो, बस नाम जपो, दिन रात जपो ये कहता है...........

 

5. तन पर मस्ताना चोला है और मुखड़ा भोला - भाला है -2

    कुदरत ने उसकी आँखो में एक महखाना सा खोला है -2

    जो दर्शन का रस पीता है वो सहज ही भव तर जाता है................   

 

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