भजन
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गई गड्डी गई आनंदपुर गई भक्ता 1:40 ते गई
1. सतगुरु मेरे चिट्ठियां पौंदे
बाई जी संगता तैयार करवोंदे
ओ मैं ता घर जोगे रह गई गई..........
2. स्पेशल गड्डियां ओ चलवोंदे
नाम दी कमाई दी टिकट बनोंदे
मेरी तां ओन्हा ने सुन लई गई............
3. साहब ने जब झण्डी हिलाई
मैनू ते अपनी सूरत ना आई
मैं ता बिन टिकटों चढ़ गई
4. साहब ने जब टिकट मंगी
ओत्थे बना ना कोई संगी
सतगुरु नाम तेरा जप गई गई.......
5. बीने दा स्टेशन आया
सब संगता ने समान उठाया
ओ मैं वी मगरे उतर गई गई.................
6. अशोक नगर विच पहुँचे सारे
अगे पीछे फिरदे मेरे संत प्यारे
मेरी ख़ुशी दी हद ना रही गई.....
7. श्री आनंदपुर पहुँचे सारे
स्वर्ग पूरी दे अजब नज़ारे
मेरी ख़ुशी दी हद ना रही गई.......
8. दर्शन हाल विच पहुँचे सारे
ऊँचे सिंहासन बैठे सतगुरु प्यारे
मैं ता चरणा ते ढिग गई गई............
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