Friday, December 25, 2020

1. नाम जपो रे भाई नाम

 

भजन -1

 

  नाम जपो रे भाई नाम है सुख की खान

 

1. नाम बिना सब धोखे धंधे, मिथ्या जगत है सारा

  सार वस्तु है नाम जगत मे, भव से तारण हारां

वेदों ने महिमा गाई, नाम है.............

 

2. भव तरने का सुगम तरीका, नाम का सिमरन कर लो

साँचा धन परलोक की पूंजी, आँचल में इसे भर लो

हर दम रहे सहाई, नाम है..............      

 

3. नाम सिमर कर ध्रुव भगत ने, अमर धाम को पाया

ऐसे ही प्रहलाद भगत ने, नाम का डंका बजाया

संतो ने महिमा गाई, नाम है…………………

 

4. मन मलिन की मैल उतरती, नाम जपे जो मन से

चौरासी चक्कर कट जाता, गुरु जी के नाम भजन से

नाम की सकल बढ़ाई, नाम है..................

  

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2. सेवा सिमरन आरती

 

भजन -2

 

सेवा सिमरन आरती पूजन ये साँचा धन सार

स्वाँस स्वाँस प्रभु नाम सिमर ले कहे सत्पुरुष पुकार
सफल होगा ये नर तन सफल होगा ये जीवन

 

1. सत् नाम का दीप जला के मोह अंधकार मिटाना -2

सार शब्द में सुरति की तार से तार मिलाना -2

किसी काल में फिर यम कोई, कर ना सकेगा वार सफल

होगा..............

 

2. कोटि जन्म से भूला मोह - अंधकार में भोले -2

अज्ञान की जलधारा मे खाये बहुत झकोलें -2

समय सुनहरी हाथ मे है अब, रूह का काज संवार सफल    

होगा..............

 

3. फिर ना मिले ये नर तन फिर ना शरण संतों की -2

ये यथार्थ सत्य है वाणी कहती ग्रंथों की -2

धारण कर तू देख ह्र्दय में आवागमन निवार सफल होगा..............

 

4. सत्पुरुष दया के सागर सत मार्ग दर्शायें -2

काल माया का संकट टाले सेवक को बचाएँ -2

वचन मुबारिक श्री सतगुरु के दासन पर उपकार सफल होगा..............

   

 

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3. सुख के सागर करुणा

 

भजन -3

   

  सुख के सागर करुणा निधान

  महिमा तेरी क्या गाये जुबान

 

1. प्रेम भक्ति का पंथ बनाकर

भूले हुए को राह दिखा कर

जग में किया उपकार महान महिमा तेरी क्या गाये जुबान...........

 

2. जीव और भ्रम का भेद बताया

सुरत - शब्द का मेल कराया

घट मे चलाया आत्म ज्ञान महिमा तेरी क्या गायें जुबान..........

 

3. कलयुग मे अवतार लिया है

  घर-घर नाम प्रचार किया है

जन-जन का किया है कल्याण महिमा तेरी क्या गाये जुबान..........

 

4. फूले फले तेरा दरबार

  दीन-दुखी की यही पुकार

दास के तुम हो तन व प्राण महिमा तेरी क्या गाये जुबान........... 

 

   

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4. तू चंदा मैं चकोरा हूँ

 

भजन -4

 

  तू चंदा मैं चकोरा हूँ कमल तू है मैं भँवरा हूँ

  के तुझसे प्यार है मेरा तू ही आधार है मेरा तू………

 

1. तेरा दीदार जब पाऊँ खजाना रंक ने पाया -2

मैं त्याँगू प्राण देकर भी कोई कंजूस हो जैसा -2

मुझे कहते है दीवाना के मुझको तुमसे प्यार है........

   

2. जो इक पल तुझसे मैं बिछडू ना दिल को चैन आता है -2

विरह का दर्द रह रह कर मेरे प्रीतम सताता है -2

तू सागर है सतगुरु जी क्यूँ कि मैं मीन तेरा हूँ.........

 

3. ये तेरे प्रेम का पारस जो मेरे दिल से छू जाये -2

तो मेरा मन जो है लोहा निकल कंचन हो जाए -2

तू है स्वाँति सलील और मैं पपीहा एक प्यासा हूँ.........

 

4. सदा चरणों मे ही रखना के अपना दास कर लेना -2

किसी अपराध के कारण मुझे मत दूर कर देना -2

यही है अर्ज सतगुरु जी मेरी लाज रखना.............

 

 

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5. मेरे सतगुरु जी भगवान

 

भजन -5

 

मेरे सतगुरु जी भगवान बक्शों भक्ति का दान.........

           

1. दृष्टी रहमत की तो फिरा, ऐ दीनों के नाथ -2

  छोड़ दिया है जग सारा, पकड़ा तेरा हाथ -2

  तुम्हीं हो मीत सुजान, बक्शों भक्ति का दान.........  

 

2.  पुतला हूँ मैं गुनाहों का, करो ना इस पर ध्यान -2

   निज श्री चरणों की भक्ति, बक्शों ऐ कृपा निधान -2

   तेरा नाम है मेहरबान, बक्शों भक्ति का दान.........

 

3.  रूप बसे तेरा आँखों में, होठों पे तेरा नाम -2

   इसी तरह से हो जाये, जीवन मेरे की शाम -2

   यही कर दो प्रभु एहसान, बक्शों भक्ति का दान.........

 

4.  सेवक हूँ तेरे श्री चरणों का, कर दो पूरी आस -2

   तेरा एक भरोसा है तेरा ही मैं दास -2

   कर दो मेरा कल्याण, बक्शों भक्ति का दान.........

 

 

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6. तेरी रहमत का जिसे

 

भजन -6

 

तेरी रहमत का जिसे सतगुरु सहारा मिल गया

उसको भव सागर का सचमुच ही किनारा मिल गया


1. फिर उसे दर-2 भटकने कि कहा आदत रही -2

प्यार जिसको मेरे सतगुरु जी तुम्हारा मिल गया तेरी रहमत.............

 

2. दायमी राहत मिली मेरे दिले लाशार को -2

प्यार जिसको मेरे सतगुरु जी तुम्हारा मिल गया तेरी रहमत.............

 

3. दो जहाँ की दौलते उसकी नजर में ख़ाक है -2

जिसको तेरे नूरी जलवे का नजारां मिल गया तेरी रहमत.............

 

4. तेरे कदमों में ठिकाना मिल गया जब दास को -2

अपनी किस्मत का मुझे रोशन सितारा मिल गया तेरी रहमत.............

 

 

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7. मन में बसे हरि आन

 

भजन -7

 

मन में बसे हरि आन छवि सतगुरु तेरी प्यारी

 

आठों पहर रहे ध्यान हमेंशा याद तुम्हारी

 

1. चरणों का प्यार पाके प्रभु मैं निहाल हुआ -2

भक्ति का धन पाया जीव माला माल होया -2

आठों पहर रहे ध्यान हमेंशा याद तुम्हारी मन में...................

 

2. चरणों का चाकर तेरा दासन दास है -2

तुझ बिन न सतगुर ओरों की आस है -2

तुम ही मेरे भगवान तुम्हीं मेरे कृष्ण मुरारी है मन में...................

 

3. स्वामी हो सेवको के नाथों के नाथ हो -2

समरथ सतगुरु जी हर पल साथ हो -2

सुमिर –सुमिर तेरा नाम मिटे दुःख संकट भारी मन में...................

 

4. सूरत हमेंशा तेरे चरणों में लीन रहे -2

प्रेम तेरे में सदा, मेरा मन लीन रहे-2

जीभा करे गुणगान नयन दर्शन के भिखारी मन में...................

 

 

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8. है पांच नियम गुरु दरबार

 

भजन -8

 

है पांच नियम गुरु दरबार के इन सब को समय से निभाया करें

 

1.  शुभ अमृत वेला में सुमिरन भजन

श्री आरती पूजा हित चित से करें

फिर श्री आज्ञा अनुसार गुरुमुख

निष्काम भाव से सेवा करें है पांच नियम…………….

 

2. फिर चौथा नियम है सत्संग का

सत्पुरुषों की संगत करते रहे

सब जीवन ही सत्य रूप बने

सत्पुरुषों की राह नुमाई में चले है पांच नियम…………….

 

3. फिर पांचवा नियम श्री दर्शन का

देवी देव ऋषि मुनि सब तरस रहें

कोटि जन्म के पाप कट जाते हैं

जो श्रद्धा से सतगुरु दर्शन करे है पांच नियम…………….

 

4. ये पावन नियम रूहानी दरबार के

जिनकी महिमा को जाने गुरुमुख सज्जन

है बनाया इन्हें सत्पुरुषों ने

जीवों के कल्याण और हित के लिए है पांच नियम…………….

 

5. मुख रख कर वचनों को जो भी चले

उसको सतगुरु की रहमत का साया मिले

फूल भक्ति के उसके जीवन में खिलें

दास खुशियों से सदा भरपूर रहें हैं पांच नियम…………….

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9. सच्चा नाम ही जीवन का

 

भजन -9

 

सच्चा नाम ही जीवन का सहारा है ये भव से तारण हारां है

 

1. प्रभु मिलने का ये ही तो साधन है -2

जो ये भक्ति भजन अराधन है -2

सब सुखों का ये ही भण्डारा है ये भव से तारण ................

 

2. इस नाम की बहुत बढ़ाई है -2

सब संतो ने महिमा गाई है -2

घट में करता उजियारा है ये भव से तारण ....................

 

3. इस नाम के सतगुरु संत धनी -2

जो गुरु सेवे उसे कमी नहीं -2

चमका फिर भाग्य सितारा है ये भव से तारण....................

 

4. ऐ दास सदा ये ही करम कमां -2

हर स्वाँस में सच्चा नाम ध्यां -2

तेरे जीवन का यही आधारा है ये भव से तारण ................

 

 

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10. श्री दरबार के पांच नियम

 

भजन -10

 

श्री दरबार के पांच नियम सुख पाए जो करे सेवन

 

1. श्री आरती पूजा दोनों समय

पहला नियम ये हृदय धरे

शुद्ध होता है अन्त करण सुख पाये जो करे मनन

 

2. दूसरा नियम है सेवा निष्काम

करे जो पाये दरगह मान

शीतल होता है तन व मन सुख पाये...........

 

3. नियम तीसरा है सत्संग

निर्मल हो जाता है मन

संत बताते है जब ढंग सुख .................

 

4. चौथा नियम है सुमिरन ध्यान

सूरत शब्द की कर पहचान

मन जुड़ जाये गुरु चरणन सुख ................

 

5. पांचवा नियम है श्री दर्शन

मिट जाये सभी संशय भरम

दास का होता सफल जीवन सुख...........

 

 

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