भजन-64
मुझे श्री
आनंदपुर धाम मिल गया
सतगुरु के
रूप में भगवान मिल गया
1.
सतगुरु जी का दर्शन जब से मैंने पाया
जीवन में मैंने है साच्चा सुख पाया
दुखों का नामो-निशान मिट गया सतगुरु
के रूप........
2.
सतगुरु की आज्ञा ही सब सुखों की खान है
आज्ञा में जीना लिया जिसने जान है
जीवन में उसके आनंद बन गया
सतगुरु...........
3.
श्री चरणों में शीश झुकाओं
बार -2 शुकराना तुम मनाओ
कलयुग में हमको तारन हार मिल गया
सतगुरु........
4.
तीनों लोको मेरे सतगुरु इष्ट है
इन्ही में समाये ब्रह्मा, विष्णु,
महेश है
त्रिलोकी में दासा डंका बज गया सतगुरु..........
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