भजन
-29
सतगुरु जी तेरा दर्शन पाकर, आँखों में सरूर
आ जाता है -2
जब दर पे तुम्हारे पहुँचता हूँ, अपने पे
गरुर आ जाता है -2
1.
तू
दाता सेवक हम तेरे, ये नाता है जन्मों का जी -2
बसे दिल में प्रभु दर्शन तेरा, इस दिल में उजाला
तुमसे जी -2
जब दर्श तुम्हारा पाता हूँ, आँखों में सरूर आ जाता
है जब दर............
2. मेरी करम कमाई तुमसे है, मेरी शान भी सतगुरु तुमसे
है -2
इस दास की कोई औकात नहीं, ये जो कुछ भी है तुमसे है
-2
तेरा नाम जुबां पर जब आता, होठों पे सरूर आ जाता है
जब दर......
3. अपने प्रेमियों को सतगुरु जी तुम, सदा सच्ची राह
दिखाते हो -2
चौरासी के चक्कर से प्रभु, तुम ही तो हमें बचाते हो
-2
तेरा
जिक्र जहां पर है आता, मेरा रोम-रोम मुस्काता है जब दर............
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