भजन -47
मेरे परम संत प्यारे प्रभु, तुमसे वर पाए हम
हो नजर कर्म हम पर जो भवसागर तर जाए हम
1. मन
दुर्लभ है मति चंचल है, भाव भक्ति नहीं जाने
भर
दो ज्ञान ह्रदय में सतगुरु, परमार्थ पहचाने
दो
प्रेम भक्ति ऐसी के अमृत रस बरसाए हम मेरे परम........
2. काल
माया के भाव बंधन ने, डाला ऐसा घेरा
तेरी
कृपा बिन कैसे छूटे जन्म -2 का फेरा
कट
जाए चौरासी मेरी तेरी करुणा वार पाए हम मेरे परम........
3. सुरती
शब्द के बिन अधियारी, दयालु जग मन करो
दासन
दास के रोम -2 नाम की खुशियाँ भर दो
कलिमल सब धुल जाए नाम जीवन धन पाए हम मेरे
परम........
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