भजन
-14
सुख पा लिया तेरे दरबार आके दरबार आके
सिर झुका दिया तेरे दरबार आके
1. चरणों में आके तेरे, भुला इस जहान को -2
क्या से बनाया क्या है, आम इंसान को -2
सब
कुछ पा लिया दाता तेरा प्यार पाके सुख पा लिया.......
2. चाहना थी सुख की, सुख नहीं पाया था
दर- दर की ठोकरों ने, मुझे ठुकराया था
चैन
पा लिया तेरे दरबार आके सुख पा लिया.............
3. अपने बेगानों की पहचान हो गई
जुड़ के तुम्हारे संग, अलग शान हो गई
गम भुला दिया तेरा दीदार पाके सुख पा
लिया..........
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