भजन
-4
तू
चंदा मैं चकोरा हूँ कमल तू है मैं भँवरा हूँ
के
तुझसे प्यार है मेरा तू ही आधार है मेरा तू………
1. तेरा दीदार जब पाऊँ खजाना रंक ने पाया -2
मैं त्याँगू प्राण देकर भी कोई कंजूस हो जैसा -2
मुझे कहते है दीवाना के मुझको तुमसे प्यार
है........
2. जो इक पल तुझसे मैं बिछडू ना दिल को चैन आता है -2
विरह का दर्द रह रह कर मेरे प्रीतम सताता है -2
तू सागर है सतगुरु जी क्यूँ कि मैं मीन तेरा
हूँ.........
3. ये तेरे प्रेम का पारस जो मेरे दिल से छू जाये -2
तो मेरा मन जो है लोहा निकल कंचन हो जाए -2
तू है स्वाँति सलील और मैं पपीहा एक प्यासा
हूँ.........
4. सदा चरणों मे ही रखना के अपना दास कर लेना -2
किसी अपराध के कारण मुझे मत दूर कर देना -2
यही
है अर्ज सतगुरु जी मेरी लाज रखना.............
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