भजन -3
सुख के सागर करुणा निधान
महिमा तेरी क्या गाये जुबान
1. प्रेम भक्ति का पंथ बनाकर
भूले
हुए को राह दिखा कर
जग
में किया उपकार महान महिमा तेरी क्या गाये जुबान...........
2. जीव और भ्रम का भेद बताया
सुरत
- शब्द का मेल कराया
घट मे चलाया आत्म ज्ञान महिमा तेरी क्या गायें जुबान..........
3. कलयुग मे अवतार लिया है
घर-घर नाम प्रचार किया है
जन-जन
का किया है कल्याण महिमा तेरी क्या गाये जुबान..........
4. फूले फले तेरा दरबार
दीन-दुखी की यही पुकार
दास के तुम हो तन व प्राण महिमा तेरी क्या गाये जुबान...........
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