भजन
-22
गुरु चरणों में लाग, तेरे जागे सोये भाग सुन
मन मेरे
1. सुन संतो की वाणी जग झूठी है कहानी लोभ, मोह,
मिथ्या
छोड़ आस बेगानी मतलब के है प्राणी कोई नहीं है
तेरा -3
कर गुरु से ही प्यार, झूठा मोह संसार मेरे मन तज दे
गुरु....
2. सुख चाहे तू अगर, छोड़ जग की डगर, दिल गुरु से लगा
जिसे समझे तू घर ये है चोरों का नगर मत आप को
ठगा -3
वैरी पथ जो पड़े, रहो इनसे परे जरा चल बचके
गुरु......
3. कोई चिंता ना खावे ना कोई रोग सतावे, सुख गुरु की
शरण
जोति प्यार की जगावें मोह दूर से भगावे, सतगुरु
की लगन -3
सुख राशि सतगुरु, अविनाषी सतगुरु काटे बंधन मेरे
गुरु...
4. पूरा गुरु दीनानाथ रखे शीश पे जो हाथ, कोई दुख ना
रहे
सदा रहे संग साथ, ये अनाथों का नाथ बाह दास की
गहे -3
गुरु मुख सुखिया, मन मुख दुखिया ये अटल बात है
गुरु..........
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