भजन
-22
सतगुरु तेरे द्वार पर जिंदगी जिसने बिताई है
साच्ची दौलत भक्ति की उस प्रेमी ने ही पाई है
1. सेवा की है जिसने, निष्काम तेरे द्वार की
खुशियाँ दोनों जहाँ की उसने सहज में ही पाई है
साच्ची
दौलत..........
2. तेरी सूरत प्यारी को, जिसने निहारा एक बार
पल भर में उसके लिए हुई सारी दुनियां पराई है
साच्ची
दौलत..........
3. नियम पांच श्रद्धा से जीवन में जो अपनाता है
सतगुरु ने निश्चय ही बेड़ी उसकी पार लगाईं है
साच्ची
दौलत..........
4. दास को भी तलब है तेरे दर का चाकर बनने की
रहमत भरी तेरी दृष्टी की ही हमनें आस लगाईं है
साच्ची
दौलत..........
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