भजन
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श्री आनंदपुर दरबार तेरी शान निराली
ऐथे खुशियाँ मिलदी अपार कोई जावे न खाली
1. ऊंची सुच्ची शान वाले गुरु महाराज जी
तोर है इलाही इसदी, मीठी है आवाज जी
वखरा
है त्वाडा प्यार कोई जावे न खाली श्री आनंदपुर.........
2. सोने- सोने मंदिर दा किता निर्माण ऐ
कर लैंदा जो वी दर्शन जांदा कुर्बान ऐ
ऐ रब दे ने अवतार, शहनशाहें आली श्री
आनंदपुर..........
3. अपनियाँ रुहा उत्ते रहमतां लुटाईयाँ ने
घर- घर नाम दिया जोतां जलाईयां ने
ऐथे
नित ही नई बहार, ऐथे नित ही दीवाली श्री आनंदपुर.......
4. दासनदास खैर मंगे श्री दरबार दी
बनी रहे किरपा श्री सतगुरु दातार दी
सब
बोलो जय जयकार छाई खुशहाली श्री आनंदपुर .........
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