Tuesday, December 29, 2020

38. दीदार तेरे की झलक दाता

 

भजन -38

 

दीदार तेरे की झलक दाता

होश जग की भुला रही है

तेरे इन नैनों में जब से देखा छवि दिल में समा रही है

 

1. तेरा दीदार जो भी करता, आनंद शांति और सुख को पाता

तेरे ही प्रेम में मस्त होकर, तेरे ही नाम में रमराता

तेरी छवि का जो ध्यान लगाए मस्ती अजीब सी छा रही है दीदार.....

 

2. तेरे कर्म से दर है ये पाया, निष्काम सेवा हम करते जाए

नियम बनाए जो पांच तूने, प्रेम और श्रद्धा से हम निभाए

जीवन की नईयां है तुझको सौपी भव से किनारा वो पा रही दीदार...

 

3. बैकुंठ का नक्शा उतरा जमीं पर, श्री आनंदपुर द्वारा बनाया

रूहों के कल्याण की ही खातिर, निजधाम अपना छोड़ के आया

परमहंसों की दिव्य ये आभा, द्वारे की शोभी बढ़ा रही है दीदार.........

 

4. दासन दास के प्यारे प्रभु जी, युग -2 राज करों हम सब पर

प्रेमा भक्ति की अवरल धारा, संसार में बहती रहे निरंतर

हर दम चले हम वचनों पे तेरे, लगन ये दिल में समा रही हैं दीदार....

 

 

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