भजन -37
मैं और मेरे हारा वाले जन्म -2 के साथ है
मेरा तुझ संग नाता पुराना जैसे दीया संग बाती है
1. त्रेता
में तुम राम बने और हम तेरे वानर प्यारे
द्वापर
में बने कृष्ण कन्हैया हम तेरे संग ग्वाले-2
कलयुग
में आये सतगुरु बन कर आनंदपुर के वाली है मैं और.........
2. मन
को हमारे रोशन कर दो ज्ञान का दीप जगा कर
पांच
नियमों में पुख्ता कर दो, अमृत जल बरसा कर
कृपा
जल बरसा कर -2
मैं
हूँ तुम्हारे दर का भिखारी चाहूँ तुम्हारा प्यार सदा मैं और.........
3. मैं
तेरा हूँ तुम मेरे हो मैं बस इतना ही जानूँ
इस
रिश्ते को तोड़ निभाना तुझसे मैं इतना ही मांगू -2
प्रीत
की डोरी प्रेम का बंधन तो ही हमारा साथी है मैं और.........
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