भजन
-25
तेरी रहमतों का बया करूँ वो जुबां कहाँ मेरे
पास है
तू गुणों की खान है मेहरबां, अवगुणों भरा
तेरा दास है
1. करके कर्म मेरे शहंशाह, तूने जो शरण में लगा लिया
जो
जन्म में ही मेरे साथ थे, मुझे उन दुखों से बचा लिया
मुझे
मिल गई यहाँ हर ख़ुशी वो जहां अभी भी उदास है
तू
गुणों की..........
2. मेरा हर कर्म है बुरा बुरा, तेरे हर कदम पे है
नेकियाँ
मैं जमीं की ख़ाक तू आसमां, छुए कौन तेरी बुलंदियाँ
मैं
हूँ क्या, तू क्या है ये हर घड़ी तेरी मेहर से ये एहसास है
तू गुणों
की..........
3. मुझे हर कदम पे नवाजता, तू पिता मेरा, तू है माँ
मेरी
तेरे रहमों कर्म की छावों में, है बसी हुई दुनियां
मेरी
रहूँ
आठों पहर आनंद में, तेरे दामन में जो निवास है
तू गुणों
की..........
4. अब तेरे सिवा जायेगा कहाँ, दास चरण कमल तेरे छोड़ के
जो भी हूँ जैसा भी सतगुरु, मुझे रखना चरणों से जोड़
के
बीते
बंदगी में जिंदगी मुझे हर घड़ी ये ही आस है
तू गुणों
की..........
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