भजन -25
नैनन में श्याम समाए गयो,
मोहे
प्रेम का रोग लगाए गयो ।
1. लूट जाऊँगी
श्याम तेरी लटकन पे,
बिक जाउँगी लाल तेरी मटकन पे ।
मोहे प्रेम का रोग लगाए गयो ॥
2. मर
जाउंगी कान्हा तेरी अधरन पे,
मिट जाउँगी तेरे नैनन पे ।
वो तो तिरछी नज़र चलाए गयो,
मोहे प्रेम का रोग लगाए गयो ॥
3. बलिहारी
श्याम तेरी अलकन पे,
तेरी बेसर की मोती छलकन पे ।
सपने में दर्श दिखाए गयों,
मोहे प्रेम का रोग लगाए गयो ॥
4. पागल
को प्यारों वो नंदलाला,
दीवाना भाए है जाके सब ग्वाला ।
वो तो मधुर मधुर मुस्काये गयो,
मोहे प्रेम का रोग लगाए गयो ॥
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