Thursday, December 17, 2020

6. जर्रे जर्रे में है झाकी भगवान

 

भजन -6

 

जर्रे जर्रे में है झाकी भगवान की

किसी सूझ वाली आँख ने पहचान की

 

1.  नामदेव ने पकाई रोटी कुत्ते ने उठाई, पीछे घी का कटोरा लिए जा रहे

बोले रुखी तो ना खाओ, स्वामी घी तो लगाओ

तेरा मेरा एक नूर फिर काहे को हुजूर तूने शक्ल बनाई है सुआन

मुझे ओड़नी उड़ा दी इंसान की जर्रे जर्रे में है...........

 

2. निगाह मीरा की निराली, पी के जहर की प्याली, ऐसा गिरधर बसाया हर स्वाँस में

जब आया काला नाग, बोली धन मेरे भाग, आज आये प्रभु साँप के लिबास में

आओ आओ बलिहार, प्यारे कृष्ण मुरार, बड़ी किरपा है किरपा निधान की

बलिहारी हूँ मैं आपके एहसान की जर्रे जर्रे में.......

 

3. इसी तरह सूरदास, निगाह जिनकी थी ख़ास, ऐसा नैनो में नशा था हरी नाम का

नैन हुए जब बंद तब मिला आनंद, देखा अजब नजारां भगवान का

हर जगह वो समाया, सारे जग को बताया, आई आँखो में रोशनी थी ज्ञान की

     देखी झूम- झूम झाकी भगवान की जर्रे जर्रे........

 

4. गुरु नानक कबीर, सही जिनकी थी नजीर, देखा पत्ते -2 में निरंकार को

नजदीक और दूर वो ही हाजिर हुजुर, ये ही सार समझाया संसार को

ये जहान शहर गाँव और जंगल भी आबान, मेहरबानियाँ है उस मेहरबान की

सारी चीजे है ये एक ही दुकान की जर्रे जर्रे.........

 

 

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