भजन-32
बृन्दावन का कृष्ण कन्हैया, सब की आँखो का तारा
मन ही मन क्यों जले राधिका, मोहन तो है सब का प्यारा
1. जमना तट पर नन्द का लाला, जब जब रास रचाये रे
तन मन डोले कान्हा ऐसी, बंसी मधुर बजाये रे
सुध-बुध भूली खड़ी गोपियाँ, जाने कैसा जादू डारा बृन्दावन.......
2. रंग सलोना ऐसा जैसे, छाई हो घट सावन की)
ऐ री मैं तो हुई दीवानी, मनमोहन मन भावन की
तेरे कारण देख बाँवरे, छोड़ दिया मैं ने जग सारा बृन्दावन.......
******