भजन-62
अज नचना तेरे दरबार, गुरां जी असा नहियो
संगना
तेरी भगती दे रंगा विच, तन मन आपा ने रंगना
अज नचना तेरे दरबार..................
1. जद वी द्वार बुलावे
दोड़े आवांगे,
तेरे चरना दे विच बेह के दर्शन पावांगे
तेरे नाम दे बोले जयकारे गुरां जी असा नहियो
संगना
2. इथे मिलदे ने वरदान गुरु जी सेवा करके,
एथो जान सवाली, खाली झोली भर भर के
तेरे नाम दे बोले जयकारे गुरां जी असा नहियो
संगना
3. तेथो मंगन वालियां
मौजा लुटिया ने
अज भगता ने तेरे रे डोरा सुटियाँ ने
तेरे नाम दे बोले जयकारे गुरां जी असा नहियो
संगना
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