भजन-67
मेरे स्वामी जी ने जीन दा ढंग सिखाया
सारे जग दी रंगत लय गई अपना रंग चढ़ाया
1.
तेरी शरण विच आन तो
पहला की सी जिंदगी मेरी
तेरी रहमत होई मेरी ते बन गई बिगड़ी
मेरी
तेरी कृपा दे सदके पलटी मेरी काया मेरे स्वामी जी
ने.........
2.
जद मेरे विच मैं मेरी
सी कुछ नहीं सी मेरे पल्ले
अपने आप नू भूल गई जद हो गए भाव
संवले
तू ही तू दा पाठ पढ़ा के सच दा भेद बताया मेरे
स्वामी जी ने.......
3.
ऐसी छेड़ी प्रेम कहानी,
भूल गई दुनिया सारी
अपनी प्रेम दी लगन लगा के कटी सकल
बिमारी
तेरा तेरा कहे ये जीभा, ऐसे आनंद पाया मेरे स्वामी
जी.............
4.
गला गला विच गल होवे
तेरी जीवन साथी मेरे
स्वांस स्वांस विच सुमिरन तेरा,
जीवन प्यारे मेरे
दुनिया दे सब बंधन छुटे तेरे प्यार दा
गहना पाया मेरे स्वामी जी............
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