भजन-105
दाता जी मेरे हमको
इक तेरा आसरा है
राजी है हम उसी में
जिसमे तेरी रजा है
1.
श्री आज्ञा में चले हम, ऐसी शक्ति दे दो
भगवन
पाए आपकी प्रसन्नता ऐसे कर्म करे हम
प्रभु आपकी ख़ुशी ही, हम सबका ही भला है राजी है.........
2.
सेवक के अपने दाता हो, सच्चे तुम हितैषी
करके दया प्रभु जी, चाहते भलाई रूह की
प्रभु आपकी कृपा से दरबार ये मिला है राजी है.......
3.
पाँचों नियम निभाकर हम सच्चे खुशियाँ पाए
गुरु आज्ञा में ही चलकर गुरुमुख हम कहलाये
श्री चरणों में तुम्हारे श्रद्धा से सिर झुका है राजी............
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