भजन-133
लखो-लख
जी, लखो-लख जी
राजतिलक
दी वधाई होवे लखो-लख जी
1.
सतगुरु दे चरणां विच बैके गीत खुशी दे
गाईये
आओ रल-मिल राजतिलक दा शुभ त्योहार
मनाईये
लखो-लख जी, लखो-लख
जी अज गुरां नू वधाई होवे लखो-लख जी.......
2.
जब-जब कष्ट पड़े भगतों पे तब-तब प्रभु
जी आए
राम बने कभी शाम बने कभी नरसिंह रूप
बनाए
लखो-लख जी, लखो-लख
जी अनंदपुर वासी दियां धुम्मा पईयां लखो-लख जी...................
3.
कलयुग में अवतार लिया है संत रूप है
धारा
हो मुबारक मेरे सतगुरु आप का जग विच
आना
लखो-लख जी, लखो-लख
जी चंद सूरज बलिहारी जावण लखो-लख जी...
4.
राजतिलक दी घड़ी सुहानी बार- बार ऐ आए
श्री चरणां विच बैके दास बार-बार ऐ गाए
लखो-लख जी, लखो-लख
जी शुभ घड़ी दी वधाई होवे लखो-लख जी.........
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