Monday, December 14, 2020

133. लखो-लख जी, लखो-लख जी

 

भजन-133

 

लखो-लख जी, लखो-लख जी

राजतिलक दी वधाई होवे लखो-लख जी

 

1.  सतगुरु दे चरणां विच बैके गीत खुशी दे गाईये

आओ रल-मिल राजतिलक दा शुभ त्योहार मनाईये

लखो-लख जी, लखो-लख जी अज गुरां नू वधाई होवे लखो-लख जी.......

 

2.  जब-जब कष्ट पड़े भगतों पे तब-तब प्रभु जी आए

राम बने कभी शाम बने कभी नरसिंह रूप बनाए

लखो-लख जी, लखो-लख जी अनंदपुर वासी दियां धुम्मा पईयां लखो-लख जी...................

 

3.  कलयुग में अवतार लिया है संत रूप है धारा

हो मुबारक मेरे सतगुरु आप का जग विच आना

लखो-लख जी, लखो-लख जी चंद सूरज बलिहारी जावण लखो-लख जी...

 

4.  राजतिलक दी घड़ी सुहानी बार- बार ऐ आए

श्री चरणां विच बैके दास बार-बार ऐ गाए

लखो-लख जी, लखो-लख जी शुभ घड़ी दी वधाई होवे लखो-लख जी.........

 

 

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