भजन-121
मेरे मालिक दया करो जुड़ी रहे तार सिमरन से
मेरा जीवन मेरी सांसे रहे गुलजार सिमरन से
1. कर्म करों मुझ पर, कर्म मेरा संवर जाए
जहाँ जाऊं जहाँ देखू तू ही तू नजर आये
मैं अपनी जिंदगानी का करूँ श्रृंगार सिमरन से मालिक मेरे प्यारे दया..........
2.
तेरा हर बोल मेरे मालिक, मेरे जीवन में उतर जाए
कर्म वो ही हो मुझसे, जो तेरी पसंद आये
भर दो दाता जीवन में मेरे भण्डार
सिमरन से सतगुरु दया करों...........
3.
खड़ी दासी तेरे दर पे,
ना जानू सार भक्ति की
ना सेवा भाव है दिल में, नहीं है
प्यार भक्ति में
मांगती हूँ तुझसे, करों स्वीकार सतगुरु जी सतगुरु
दया...............
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