भजन-148
सहारा
दो मेरे सतगुरु सहारे की ज़रूरत है -२
मेरी
तूफा़ में है कशती किनारे की ज़रूरत है -२
सहारा
दो मेरे सतगुरु सहारे की ज़रूरत है -२
1.
तुम्हारा कुछ ना बिगड़ेगा मेरी तकदीर
संवरेगी -२
तुम्हारी इक नज़र भर के नज़ारे की
ज़रूरत है -२
2.
मुझे ना जग से है मतलब ना दुनिया के
सामानों से-२
मुझे तेरी ये रहमत के ईशारे की ज़रूरत
है -२
3.
बड़ा ही सोचकर दाता ये अब मैं सोच पाया
हूँ -२
कसम ज़िन्दगी में जीने की तुम्हारी ही
ज़रूरत है -२
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