भजन-116
मिल गया आसरा जिसकों तेरे चरनार का
बन गया वो मुरीद तेरे दरबार का
1.
मिलती है जब झलक तेरे
दर्शन की
प्यास बुझती है इन नैनन की
चढ़ जाता है रंग फिर तेरे प्यार का मिल गया.............
2.
दीदारे मुर्शिद की क्या
महिमा गाऊं
मिलन की घड़ियों पे दाता बल बल जाऊं
कैसा सुंदर समां है ये दीदार का मिल गया.............
3.
सुरति चरणों में तेरे जुड़
जाए
ख्याले दुनियां के मन से उड़ जाए
बन जाए दिल दीवाना तेरे प्यार का मिल गया.............
4.
दिल की है आरजू चरणों
में रहूँ
इस दिल की हर बात दाता तुम से कहूँ
तू ही हो बस सहारा दिल ए बेकरार का मिल गया.............
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