Sunday, December 20, 2020

14. सूरत तुम्हारी गुरवर

 

भजन -14

 

सूरत तुम्हारी गुरवर इतनी हसी है

बिन देखे प्यास मन से बुझती नहीं है

 

1. नैनों की बाती से ह्रदय की जोति से

निशदिन तेरी जोत जगाऊं -2

    आखों में तेरी ही सूरत बसी है,

    मन में बसा तू है मेरी रूह में तू ही सूरत तुम्हारी........

 

2. मोर मुकुट तोहे शीश विराजे

वजन्ति माला कंठ में साजे

सुंदर छवि दिल को लुभाए

    मन में बसा तू है मेरी रूह में तू ही सूरत तुम्हारी........

 

3. जिधर भी मैं देखूं जहाँ भी मैं जाऊं

तुझे ढूढ़ती है ये मेरी निगाहें, ये पागल निगाहें

बेचैन दिल को मैं कैसे समझाऊं

    मन में बसा तू है मेरी रूह में तू ही सूरत तुम्हारी........

 

 

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