Sunday, December 20, 2020

27. नाम रत्न धन, सचखण्ड

 

भजन -27(सत्तनाम श्री वाहेगुरु)

 

नाम रत्न धन, सचखण्ड दा खजाना, जिन्हा वी जपदे जाओगे

अपने श्वासां दी पूंजी विच होर वी वाहदा पाओगे

नाम धन रहे अंग संग.......................

1. नाम नहीं कोई जग दी वस्तु, नहीं मिलदी बाजार

ऐ अनमोल रत्न ता बन्दे, मिले सतगुरु दे दरबार

श्रद्धा दे नाल, शीश झुका के जद झोली ऐ फैलाओगे

इस अनमोल खजाने दे नाल झोली भर ले जाओगे नाम धन..........

 

2. नाम रत्न ता है एक हीरा, लगदा नहीं जिनु खोट

ऐ ता ओ पूंजी ऐ बन्दे जेड़ा खर्चन ते वधे होर

नाम दी पावन गंगा दे विच जिन्हा वी डूबिया लाओगे

तन मन उजला करके कागा तो हंसा बन जाओगे नाम धन............

 

3. तेरी -मेरी मेरी- तेरी ते विच फसया संसार

जप के नाम निरंजन दा जद, पा लईये करतार

मिट जांदे सब भ्रम भुलेखे, सच एको ही रह जायेगा

मिट जाएगी मेरी -2 तू ही तू रह जाएगा नाम धन................

 

4. सूरत शब्द दा मेल करवावे जे जपिए एक साह

छड के आपा भाव ऐ बन्दे, दे सतगुरु हथ पतवार

ह्रदय कमल विच फिर ऐ शीशम, सतगुरु नू बैठा पाओगे

अपने श्वासा दी पूंजी विच होर विच वाहदा पाओगे नाम धन...........

 

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