भजन -43
जो भी होता है ठीक होता है फिर भी मन क्यूँ उदास होता है
तेरी हर बात में दातार छुपा कुछ न कुछ राज खास होता है
1. ना
गुनाहों पे भी गिला तुझको
होता
रहमत पे भी है शक मुझको
दिल
बड़ा तेरे पास होता है जो भी........
2. जो
मुझे चाहिए मिले न अगर
मैं
उतर आता हूँ शिकायतों पर
कभी
गुरुमत की जगह पर मनमत पर
मेरा
अपना निवास होता है जो भी........
3. मैंने
हर बार है कहाँ ऐसा, दास रह लेगा तुम रखों जैसा
फिर
भी छोटी -2 बातों को लेकर परेशान दास होता है जो भी........
4. मेरा
हर काम तो बना है यहाँ काम कोई जगत रुका है कहाँ
तेरी
रहमत का फल मेरे दाता क्यूँ मुझको एहसास होता है जो भी........
*****