भजन
-48
जैसा चाहो तुम मुझकों समझना, बस तुमसे है
इतना कहना,
मांगने कि आदत जाती नहीं, तेरे आगे लाज
मुजको आती नहीं,
1. बड़े- बड़े पैसे वाले तेरे द्वारे आते है,
मुझको ये मालूम कि वो भी तुझसे माँग के खाते है
तुझसे माँगने में इज्जत जाती नहीं तेरे आगे........
2. तुमसे दाता शर्म करू तो, और कहां मै जाऊँगा
तेरे
ही चरणों में ही दाता, सिर अपना ही झुकाऊँगा
दुनिया तो बिगड़ी बनाती नही तेरे आगे.........
3. तू ही करता मेरी चिंता तो ही गुजारा चलता है,
कहे ये दास
तुझसे ज्यादा कोई नही कर सकता है,
झोली हर कहीं
फैलाई जाती नही तेरे आगे........
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