भजन
-36
ये जग है एक मेला यहाँ से एक दिन सबको जाना
1. तेरा सारा कुटम्ब कबीला, साथ न तेरा देंगे
मरते ही तेरी सारी कमाई, झट से बाँट ये लेंगे
जिनको तू कहता है अपना, वे तुझको भूलेंगे
इस दुनियां की रीत यही है, इसको कहते ज़माना ये
जग............
2. तेरे अच्छे कर्म ही भईया संग तेरे जायेंगे
घर वाले और जग वाले तो, मरघट तक जायेंगे
तेरी अस्थी तक वो भईयां वो घर में ना लायेंगे
इतना
ही इनका रिश्ता नाता इतना ही साथ निभाना ये जग.......
3. कितने ही राजा महाराजा, इस दुनियां में आये
लेकिन मौत के आगे अपना, रोब चला ना आये
मुट्ठी बाँध के आने वाले, मुट्ठी खोल के जाये
चाहे
कोई रंक हो चाहे हो कोई महाराजा ये जग है............
4. जान मुझ कर आँख मूँद कर, क्यूँ करता नादानी
बचपन तेरा बीत चूका और बीती जाये जवानी
वक्त है अब भी जाग जा भईया मत कर ये मनमानी
जप
ले प्रभु का नाम तू बन्दे मत बन तू बेगाना ये जग........
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