Sunday, December 20, 2020

44. अंतरयामी नू दसा कि

 

भजन-44

 

अंतरयामी नू दसा कि हाल दिल दा,
गुरु जी प्यारे नु दसा की हाल दिल दा,
मेथो वध एहनु पता मेरी मुश्किल दा,

1. गुरुमत इक रास्ता है ते गुरु सिख राही एह,
    एहनु ध्यान दे पैर मिले हंकार मनाई ऐ,
    इस रस्ते ते लगदा है पता अपनी मंजिल दा,
   गुरु जी प्यारे नु दसा की हाल दिल दा,

2. दुःख हॉवे गुरमत दी एह मन खुश रेह्न्दा है,
   भूख ही मिट जावे ता मन एह कहंदा है,
   हूँ पहले वाला क्यों भला आनंद नहीं मिलदा,
   गुरु जी प्यारे नु दसा की हाल दिल दा,

3. गुरु सिख नहीं डर सकदा दुनिया दी गला तो,
   एह डर न किनारे ने सागर दिया छला तो,
   तूफानी लहरा तो किनारा कदे नहीं हील्दा,
  गुरु जी प्यारे नु दसा की हाल दिल दा,

4. मैं जिस कम आया सा, ओह कम मुका बैठा,
   हूँ जीने मरने दी मैं चिंता ला बैठा,
   चाकर बन के जीवा सदा,  इस दी महफ़िल दा,
   गुरु जी प्यारे नु दसा की हाल दिल दा,

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