Sunday, December 20, 2020

2. जिन्हा दे सिर उत्ते हाथ

 

भजन -2

 

जिन्हा दे सिर उत्ते हाथ गुरां दा,
उन्हा नु काहदा डर वे लोको,

1. गुरा दे द्वारे आके मंगन तो ना संगिये,
   उन्हां दे कोलों बस नाम ही मंगिये,
   जिन्हां दे बन गये ने सतगुरु मालिक, उन्हा नु.........

2. दुःख आवे सुख आवे हस के गुजारिये,
   हर वेले दाता दा शुक्र गुजारिये,
   जिन्हा दे पल्ले सच्ची पूंजी उन्हां नु........

३. इस झूठे जग कोलो पल्ला छुड़ा लईये,
   सतगुरु प्यारे नु अपनी बाह फड़ा लईये,
   जिन्हा ने सतगुरां ते सुटियाँ डोरा, उन्हा नु.......

 

 

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