Sunday, December 20, 2020

17. इस योग्य हम कहाँ हैं

 

भजन -17

 

इस योग्य हम कहाँ हैं, भगवन तुम्हें मनायें।
फिर भी मना रहे हैं, शायद तू मान जाये॥

 

1.    जबसे जन्म लिया है, विषयोंने हमको घेरा।
छल और कपटने डाला, इस भोले मन पे डेरा।
सद्बुद्धि को अहम् ने हरदम रखा दबाये॥ इस योग्य........

 

2.    निश्चय ही हम पतित हैं, लोभी हैं, स्वार्थी हैं।
जब तेरा ध्यान लगायें, माया पुकारती है।
सुख भोगनेकी इच्छा, कभी तृप्त हो न पाये॥ इस योग्य........

 

3.    जग में जहाँ भी देखा, बस एक ही चलन है।
एक दूसरेके सुखमें, सबको बड़ी जलन है।
कर्मोंका लेखा जोखा, कोई समझ ना पाये॥ इस योग्य........

 

4.    जब कुछ ना कर सके तो, तेरी शरणमें आये।
अपराध मानते हैं, झेलेंगे सब सजायें।
बस दर्श तूँ दिखा दे, कुछ और हम न चाहें॥ इस योग्य........

 

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