भजन -27
तेरे दर्श से सुबह मेरी, तेरे दर्श से शाम हो
नैनों में हर पल ऐ दाता, तेरा पावन ध्यान हो
1. मैं
अनजान जीव हूँ सतगुरु, हूँ मैं गुनाहों का पुतला
श्री
चरणों के साये रखना, एक पल दूर नहीं करना
तुम
हो मेरी जीवन ज्योति नयनों के अभिराम हो तेरे........
2. अपने
प्रेम का दीप जला कर, अधियारा सब दूर करों
सुख
खान अपनी भक्ति में मन मेरा लवलिन करों
होश
रहे ना सुध बुध तन की ऐसा प्रेम का जाम हो तेरे........
3. तुम
हो अन्तरयामी सतगुरु और मैं तेरा दास हूँ
तेरी
कृपा के कारण ही प्रभु श्री चरणों के पास हूँ
दर्शन
रस का पान करूँ सदा और ना कोई आस हो तेरे.....
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