भजन-59
दीलदार गुरुवार ने मुझको अपनाया है
रस्ते से उठा करके सीने से लगाया है
1.
ना कर्म ही अच्छे थे,
ना भाग्य प्रबल मेरा
ना सेवा करी तेरी, ना नाम कभी तेरा
ये तेरा बड़पन है मुझे प्रेम सिखाया है रस्ते से उठा
करके....................
2.
जो कुछ हूँ आज प्रभु सब
तेरी मेहरबानी
शत शत है नमन तुझको हम दीनो के दानी
तूने ही दया करके जीवन महकाया है रस्ते से उठा
करके....................
3.
प्रभु रखना संभाल मेरी
ये मन ना भटक जाए
बस इतना ध्यान रहे कोई दाग ना लग
जाए
बदरंग ना हो जाए जो रंग चढ़ाया है रस्ते से उठा
करके....................
4.
एहसास है ये मुझको
चरणों में सुरक्षित हूँ
एहसान बहुत तेरे भूले ना कभी भूलूं
गुरु भक्ति सुधामृत का मुझे स्वाद चखाया है रस्ते
से उठा करके....................
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