Friday, December 18, 2020

55. तुम्हारी शरण मिल गई सँवारे

 

भजन -55

तुम्हारी शरण मिल गई सँवारे, तुम्हारी कसम ज़िंदगी मिल गई,
हमें देखने वाला कोई न था, तुम जो मिले बंदगी मिल गई,

1. बचाते ना तुम डूब जाते कन्हैया, कैसे लगाते किनारे पे नैया,
  गमे ज़िंदगी से परेशान थे, रोते लबो को हंसी मिल गई,

  तुम्हारी शरण...........


2. समझ के अकेला सताती है दुनिया,
   सितम पे सितम हम पे ढाती ये दुनिया,
   गनीमत है ये तुम मेरे साथ हो मुझे आप की दोस्ती मिल गई,
   तुम्हारी शरण...........

3. मुझे श्याम तुम पे भरोसा बहुत है तुमने हमें पाला कोसा बहुत है,
   आँखों का मेरी उजाला हो तुम अन्धकार को रोशनी मिल गई,
   तुम्हारी शरण...........

4. मुझे सँवारे इतना काबिल बना दो, प्रेम की जोति ह्रदय में जगा दो,
   उंगली उठा के कोई ना कहे, दास के दिल में कमी मिल गई,
   तुम्हारी शरण...........

 

 

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