भजन
-37
कुछ ऐसी करनी कर प्यारे, ये जन्म न बारम्बार
मिले
माया तो बहुत मिल जाएगी, गुरु ऐसा न
बारम्बार मिले
1. एक -2 वस्तु से प्यार किया, किया प्यार कभी न ईश्वर
से
तू जन्म -2 बिछड़ा है अपने पिता परमेश्वर से
मुक्ति तेरे द्वारे बैठी है जो सतगुरु से एक बार
मिले माया..........
2. क्यूँ भ्रम ने तुझको घेरा है कुछ तेरा है न मेरा है
समान बटोरा बरसों का, जग चिड़िया रैन बसेरा है
तेरा क्या तू क्यों सोच रहा चाहे जीत मिले या हार
मिले माया..........
3. गुरु की करुना अब तुझ पर हुई, जो साथ गुरु का पाया
है
गुरु की कृपा ने मन में तेरे ये ज्ञान का दीप जलाया
है
खुद अर्जुन को मुक्ति देने गुरु कृष्ण का बन अवतार
मिले माया..........
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