Friday, December 18, 2020

33. कितने ऊँचे भाग हमारे ऐसा

 

भजन -33

 

कितने ऊँचे भाग हमारे ऐसा सतगुरु पाया है

 

जलती हुई इस दुनियां में मिली जो शीतल छाया है

 

1. भरे थे दुःख ही दुःख जिसमें, थी ऐसी दासता सबकी -2

मिला ना जब तलक ये दर बड़ी परेशान थी जिंदगी -2

यही तो आया है ऐसा मसीहा जिसने रोग मिटाया है जलती हुई……….

 

2. कोई गुणवान या निर्गुण सभी अपनाये जाते हैं -2

गुरु करुणा के सागर है करुणा बरसाए जाते हैं -2

दुनियां ने जिसको ठुकराया गुरु ने गले से लगाया है जलती हुई……….

 

3. यहाँ बेचैन रुहो को सबर संतोष मिलता है -2

जो है बेचैन जन्मों से उन्हें यहाँ होश मिलाता है -2

ले जाये वो रहमत जिसने, दर पे शीश झुकाया है जलती हुई……….

 

4. कलम लिख-लिख के हारी है जुबाँ गा गा कर हारी है -2

जमी आकाश से ऊँची गुरु महिमा तुम्हारी है -2

सतगुरु तेरी रहमत से ही दर तेरा ये पाया है जलती हुई……….

 

 

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