भजन -33
कितने ऊँचे भाग हमारे ऐसा सतगुरु पाया है
जलती हुई इस दुनियां में मिली जो शीतल छाया
है
1. भरे थे दुःख ही दुःख जिसमें, थी ऐसी दासता सबकी -2
मिला ना जब
तलक ये दर बड़ी परेशान थी जिंदगी -2
यही तो आया है
ऐसा मसीहा जिसने रोग मिटाया है जलती हुई……….
2. कोई गुणवान या निर्गुण सभी अपनाये जाते हैं -2
गुरु करुणा के
सागर है करुणा बरसाए जाते हैं -2
दुनियां ने
जिसको ठुकराया गुरु ने गले से लगाया है जलती हुई……….
3. यहाँ बेचैन रुहो को सबर संतोष मिलता है -2
जो है बेचैन
जन्मों से उन्हें यहाँ होश मिलाता है -2
ले जाये वो
रहमत जिसने, दर पे शीश झुकाया है जलती हुई……….
4. कलम लिख-लिख के हारी है जुबाँ गा गा कर हारी है -2
जमी आकाश से
ऊँची गुरु महिमा तुम्हारी है -2
सतगुरु तेरी
रहमत से ही दर तेरा ये पाया है जलती हुई……….
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