भजन -43
कुछ पाने की
खातिर तेरे दर हम भी झोली फैलाए हुए है
यहां झोली सभी
की है भरती, इसलिए हम भी आए हुए है
1. जिसपे हो
जाए रहमत तुम्हारी, मौत के मुंह से उसको बचा लो
तुमने लाखों हजारों के बेड़े डूबने से बचाए हुए
है कुछ पाने.....
2. तूमने सब
कुछ जहां में बनाया, चाँद तारे जमीं आसमां भी
चलते फिरते ये माटी के पुतले तूने कैसे सजाए
हुए है कुछ पाने.....
3. हो
गुनहागार कितना भी कोई, हिसाब माँगा ना तुमने किसी से
तुमने औलाद अपनी समझ कर, सबके अवगुण छुपाए हुए
है कुछ पाने....
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