Saturday, December 19, 2020

32. मेरे साहिबा मैं तेरी

 

भजन -32

 

मेरे साहिबा मैं तेरी हो मुक्की हाँ,
मैनु मेरे साहिबा, मनो ना वसारी,
हर गल्लों मैं टुकिया,
मेरे साहिबा मैं तेरी हो मुक्की हाँ ।

1. अवगुन हारी को गुण नाही,
   वक्ष करे ता मैं छुटियाँ ,
   मेरे साहिबा मैं तेरी हो मुक्की हाँ ।

2. ज्यों पावे त्यों राख पियारिया,
   दामन तेरे वे मैं लुक्कियां,
   मेरे साहिबा मैं तेरी हो मुक्की हाँ ।

3. जे तू नजर मेहर दी भाले,
   चढ़ चौबारे मैं सुत्ती हां,
   मेरे साहिबा मैं तेरी हो मुक्की हाँ ।

4. कहे हुसैन फ़कीर साईं दा,
   दर तेरे दी मैं कुत्ती हां,
   मेरे साहिबा मैं तेरी हो मुक्की हाँ ।

 

 

 

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