भजन-63
अज गुरू जी
मेरे घर आये ने
मैं उच्या
भागा वाली मेरी कुटिया दे भाग जगाये
1.
नी मैं राह विच नैन विछावां , नाले चन्दन तिलक लगावा
मैं रज रज दर्शन पावां अज गुरूजी मेरे घर आये ने
2.
ओ जग दा पालनहारा, नाले दुनिया दा रखवाला
ओ सब दे दुःख मिटाये अज गुरूजी मेरे घर आये ने
3.
मैं जिन्दड़ी गोल घुमावा, चरना दी रज पावा
वो हस हस कृपा लुटाये अज गुरूजी मेरे घर आये ने
4.
मैं ह्रदय दा थाल बनावा, नैना दी जोत जगावा
मैं आरतिया पई गावा अज गुरूजी मेरे घर आये ने
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