Saturday, December 19, 2020

3. ना जी भर के देखा, ना कुछ

 

भजन -3

 

ना जी भर के देखा, ना कुछ बात की, बड़ी आरजू थी, मुलाक़ात की।
करो दृष्टि अब तो प्रभु करुना की, बड़ी आरजू थी, मुलाक़ात की॥

1. गए जब से मथुरा वो मोहन मुरारी,
   सभी गोपियाँ बृज में व्याकुल थी भारी।
   कहां दिन बिताया, कहां रात की, बड़ी आरजू थी..........


2. चले आयो अब तो ओ प्यारे कन्हैया,
   यह सूनी है कुंजन और व्याकुल है गैया।
   सुना दो अब तो इन्हें धुन मुरली की, बड़ी आरजू थी..........


3. हम बैठे हैं गम उनका दिल में ही पाले,
   भला ऐसे में खुद को कैसे संभाले।
   ना उनकी सुनी ना कुछ अपनी कही, बड़ी आरजू थी..........

 

4. तेरा मुस्कराना भला कैसे भूलें,
  वो कदमन की छैया, वो सावन के झूलें।
  ना कोयल की कू-कू, ना पपीहा की पी, बड़ी आरजू थी..........


5. तमन्ना यही थी की आएंगे मोहन,
  मैं चरणों में वारुंगी तन मन यह जीवन॥
  हाय मेरा यह कैसा बिगड़ा नसीब, बड़ी आरजू थी..........

 

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