Saturday, December 19, 2020

7. जब याद तुम्हारी आती है

 

भजन -7

 

जब याद तुम्हारी आती है मेरा जी भर भर जाता है!

 

1. मैं पल पल तुम्हे बुलाती हूँ तुम आते हो मुस्कराते हो

मुस्कराकर फिर छिप जाते हो क्या ये ही तुम्हे सुहाता है जब...........

 

2. ये कैसी ये निष्ठुरता है, हाय कैसी ये बेदर्दी है

या ये क्रंदन भी झूठा है जो उन तक पहुँच न पाता हैं जब

 

3. हे प्रीतम प्रणाधार हरे, हे मोहन नन्द कुमार हरे

एक बार तो आकर अपना लो अब तुम बिन रहा न जाता हैं जब......

 

4. न कोई अपना है जग में, न कोई पराया लगता है

इस दासी का तो बस केवल एक शाम तुम्हीं से नाता हैं जब...........

 

 

****