भजन
-11
आसरा इस जहां का मिले न मिले, मुझको तेरा
सहारा सदा चाहिये
चाँद तारे फलक पर दिखे न दिखे, मुझको तेरा
नजारा सदा चाहिये
1. कभी वैराग है कभी अनुराग है
इस मन की बदलती यही चाल है
मेरी चाहत की दुनिया बसे न बसे
मेरे दिल में बसेरा तेरा चाहिये आसरा................
2. मेरी धीमी है चाल और पथ है विशाल
हर कदम पे मुसीबत है अब तू ही सम्भाल
पैर मेरे थके है चले न चले
मेरे दिल में ईशारा तेरा चाहिये आसरा.....
3. जग में खुशिया है कम और ज्यादा है गम
जहां देखो वहीं है भ्रम ही भ्रम
इस जहां की ये खुशिया मिले न मिले
मुझको स्वासों में सुमिरन तेरा चाहिये आसरा.........
4. एक तेरा ही द्वार प्रभु मेरा आधार
बिन तेरे जहां में नहीं कोई साथ
और कोई सहारा मिल न मिले
दास को ये द्वारा सदा चाहिये आसरा........
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