Wednesday, December 30, 2020

65. शरण में आकर गुरुवर के

 

भजन -65

 

शरण में आकर गुरुवर के परम आनंद है पाया

बिना गुरुवर की कृपा ले किसी को चैन कब आया

1.    मेरे सतगुरु निराले है वो भंडारी है रहमत के -2

मिली इनकी शरण समझों के घर बैठे खुदा पाया शरण..........

 

2.    जहाँ उजड़े विराने थे बहारे थी ना रोनक थी

वहाँ सतगुरु ने भक्ति का परम तीर्थ है बनवाया शरण..........

 

3.    वे खुश किस्मत है उनसे पा गए जो नाम की कस्ती

डूबो सकते नहीं उनको कभी भी काल और माया शरण..........

 

4.    ख्वाहिश है अगर तो है यही इस दास तेरे की

रहे सिर पर सदा मेरे, मेरे सतगुरु तेरा साया शरण..........

 

 

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