भजन
-14
सच्चे मीत है संत सतगुरु, तुझे भव पार
लगायेंगे
सच्चे नाम की नावं बिठा, तुझे निज धाम ले
जायेंगे
1. जो भी है नाती स्वार्थ के साथी
जिन संग प्रीत है तेरी
पलक झपकते रंग बदलते, इनको ना लगती देरी
तू सतगुरु की शरण पकड़ तुझे............
2. झूठी है रचना धोखे से बचना
सुरती ना जग में फंसाना
विषयों से अपना मन मोड़ के तू भक्ति का रंग चढ़ाना
फिर आनंद में जाए गुजर तुझे.............
3. होके मगन तू लगा के लगन तू
सतगुरु की भक्ति कमा ले
गुरु चरणों का तू ले के सहारा, लोक परलोक बना ले
सतगुरु को बना रहबर तुझे..............
*****