भजन -58
सतगुरु प्यारे दाता हमारे करदो मुझपे इतना कर्म
मुझे भक्ति दान दो मुझे प्रेम दान दो दे दो मुझे
नाम धन
1. तेरे
दर की ऐसी महिमा निराली, सबकी भरदी है झोली तूने खाली
मुझको
ऐ मेरे दाता विशवास हो गया, जिसपे नजर हो तेरी बड़ा पार हो गया
महिमा
महान है तेरी ऊँची शान है करदो मुझपे इतना कर्म
करदो
कर्म दाता करदो कर्म सतगुरु प्यारे..........
2. तेरी
सेवा में बीते ये जिंदगानी, करूँ विनती ये तेरे चरणारी
जब तक
है तन में प्राण नाम जपता रहूँ, तन मन धन से सतगुरु सेवा करता रहूँ
विनती
मेरी सुनलो मुझपे कृपा करदो करदो मुझपे इतना कर्म
करदो
कर्म दाता करदो कर्म सतगुरु प्यारे..........
3. तेरी
बंदगी में लागे मन ये मेरा, मेरी आखों में हर पल ध्यान तेरा
कदमों
का तेरे दास मैं बन के रहूँ, चरणों के तेरे पास मैं हर दम रहूँ
तेरी
मुझे आस है दर्शनों की प्यास है, दे दो मुझे दे दो दर्शन
करदो
कर्म दाता करदो कर्म सतगुरु प्यारे..........
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