भजन -39
ये
वो दर है यहाँ आने से तकदीरे बदलती है
यहाँ
सर को झुकाने से उलझने भी सुलझती है
1. कहों उनसे जो कहना है ये घट -2 में समाये है
वे सुनते है पुकारों को जो ह्रदय से निकलती है
2. न कोई चाह रह जाती उसे दर -2 भटकने की
प्रेमी भक्तों को सभी खुशियाँ इसी द्वारे से मिलती है
3. अगर जीवन गुनाहों से तेरा भरपूर है दासा
न घबराओ इसी द्वारे से बक्शीशे भी मिलती है
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