Wednesday, December 30, 2020

39. ये वो दर है यहाँ आने

 

भजन -39

 

ये वो दर है यहाँ आने से तकदीरे बदलती है

यहाँ सर को झुकाने से उलझने भी सुलझती है

 

1. कहों उनसे जो कहना है ये घट -2 में समाये है

वे सुनते है पुकारों को जो ह्रदय से निकलती है

 

2. न कोई चाह रह जाती उसे दर -2 भटकने की

प्रेमी भक्तों को सभी खुशियाँ इसी द्वारे से मिलती है

 

3. अगर जीवन गुनाहों से तेरा भरपूर है दासा

न घबराओ इसी द्वारे से बक्शीशे भी मिलती है

 

 

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