भजन-59
हर पल याद तुम्हारी हो, हर पल ध्यान तुम्हारा
सेवा सुमिरन और सत्संग ऐसा जीवन हमारा हो
1. सुबह
-2 आँख खुले तेरा ही दीदार मिले
सारा
दिन तेरे अर्पण हो, ऐसा सद् व्यवाहर मिले
रात
को भी जब सोंऊ सन्मुख तेरा नजारा हो सेवा सुमिरन.............
2. ऐसी
दया करों भगवन वाणी में भी मिठास हो
आप
का ही गुणगान करूँ और आप मेरे पास रहों
जब
भी मैं मुख खोलू तेरी महिमा जयकारा हो सेवा सुमिरन............
3. मन
के आंगन में सतगुरु तेरे नाम का फूल खिले
जब
भी तेरा दर्श करूँ मेरे मन को चैन मिले
दुनिया
से अब क्या लेना बस एक तेरा सहारा हो सेवा सुमिरन.........
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